KGF: चैप्टर 1 (2018)
कहानी: 1951 में कर्नाटक के कोलार गोल्ड फील्ड्स (KGF) में सोने की खोज के साथ फिल्म शुरू होती है। ब्रिटिश शासन खानों का नियंत्रण भारतीय सत्ताधारियों को सौंप देता है, जो मजदूरों का शोषण करते हैं। 1980 के दशक में, रॉकी (यश) नाम का एक गरीब लड़का अपनी मरती हुई माँ के सपने को पूरा करने के लिए “दुनिया का सबसे ताकतवर आदमी” बनने की कसम खाता है। वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड में शामिल होता है और KGF के बारे में जानकर, उस पर कब्ज़ा करने की योजना बनाता है। KGF का शासक गरुड़ (रामचंद्र राजू) एक क्रूर व्यक्ति है, लेकिन रॉकी चालाकी से उसके दुश्मनों को खत्म करता है और अंत में गरुड़ को मारकर KGF का राजा बन जाता है। मजदूरों के लिए वह मसीहा बन जाता है, लेकिन सरकार और विदेशी ताकतें उसके खिलाफ हो जाती हैं।
कहानी: अब रॉकी KGF पर “रॉकी भैरया” के नाम से राज करता है, लेकिन उसे दो नए दुश्मनों का सामना करना पड़ता है – गरुड़ के बदला लेने वाले चाचा आधीरा (संजय दत्त) और प्रधानमंत्री रमिका सेन (रवीना टंडन), जो खानों को राष्ट्रीयकृत करना चाहती हैं। आधीरा और उसके गुर्गे KGF पर हमला करते हैं, लेकिन रॉकी उन्हें ध्वस्त कर देता है। इस बीच, रॉकी की प्रेमिका रीना (श्रीनिधि शेट्टी) उसके क्रूर व्यक्तित्व में मानवीय भावना लाती है। अंत में, रमिका सेन भारतीय सेना को KGF पर हमला करने का आदेश देती है। रॉकी अपने लोगों और KGF को बचाने के लिए खुद को बलिदान कर देता है, जिससे वह एक लोकनायक के रूप में अमर हो जाता है।